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DAY 10 | श्री पार्श्व कथा | Shri Parashv Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 9 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 8 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 7 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 6 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 5 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 4 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराज | Jain Tirthankar Storyस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 3 | LIVE श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 2 | श्री पार्श्व कथा | Shri Paras Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराजस्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है। संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगीअतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें
DAY 1 | श्री पार्श्व कथा | Bhagwan Parshwanath Katha By Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj | मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महामुनिराज | Parasnath katha
स्वर्गीय कविवर भूधरदास जी द्वारा विरचित 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ भगवान के पूर्व के 10 भवों की बहुत ही सुंदर व्याख्या पार्श्व पुराण में की गई है।
संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने सभी श्रावकों पर अपनी करुणा दृष्टि रख सभी प्राणियों के कल्याण हेतु श्री पार्श्व कथा का बहुत ही सरल,सुंदर एवं जीवंत वर्णन का प्रारंभ किया है।पूज्य मुनि श्री की देशना स्वयं में ही अतिशयकारी एवं मनोहर होती है और ऐसे श्रुत केवली सम मुनिराज के श्री मुख से तीर्थंकर केवली पार्श्वनाथ भगवान के पूर्व भावों को श्रवण करना मानो अपने अपने में एक सुखद अनुभूति होगी
अतः सभी सुधी श्रावक इस कथा को श्रवण कर अपना कल्याण कर अपने भावों की विशुद्धी में उत्तरोत्तर वृद्धि करें